चुनावी मुकाबला-नेताजी और हम में अड्डे पे JDU के नजम इक़बाल से सवाल जबाब पार्टी और झाझा विधानसभा पे
बेबाक अड्डा , झाझा
प्रमुख सवाल
बिहार विधान सभा 2020 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल जदयू ने अपने कोटे की 122 सीटों में 7 सीट को हम पार्टी को दे दिया है. 7 सीटों में से 5 सीटें मखदुमपुर, कुटुंबा, इमामगंज, सिकंदरा व बाराचट्टी सुरक्षित सीट है. सिर्फ 2 सीटें कसबा व टिकारी अनारक्षित है. ऐसे में हम पार्टी को कितने सीट जीतने की उम्मीदें हैं. इससे जदयू पार्टी पर कितना असर पड़ेगा.
हम’ पार्टी के सभी सात सीटों पर हमारी स्थिति काफी मजबूत है. रही बात जीत हार की तो, यह तो जनता तय करती है कि किसको जिताना है, किसको हराना है. लेकिन मैं इतना जरुर जानता हूं, इस बार का चुनाव जाति के आधार पर नहीं. बल्कि विकास के आधार पर हो रहा है, और यही सीटों का प्रमाण भी है.
वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में एलजीपी को 2 सीटें हासिल हुई थी. लेकिन इस बार एलजेपी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ने एवं जदयू उम्मीदवार के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है. इससे जदयू पार्टी को कितने सीटों का नफा नुकसान होने की संभावना है.
लोक जनशक्ति पार्टी का जनता दल के साथ गठबंधन नहीं था. लेकिन, यह भी सच है कि वे हमारे एनडीए के सहयोगी के रूप में थे. जहां तक वोटरों की बात करें, इस रूप में मुझे नुकसान समझ में नहीं आता है. लेकिन अति महत्वाकांक्षा की वजह से एलजेपी को इस चुनाव में बड़ा नुकसान होने वाला है.
वर्ष 2003 में लोक शक्ति पार्टी, समता पार्टी व जनता दल के शरद यादव गोट के विलय के बाद जदयू का गठन हुआ था. वर्तमान में बीजेपी के नेतृत्व में गठित एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) घटक दल है. जदयू का विचारधारा पंथनिरपेक्षता समाजवाद है ऐसे में पार्टी गठबंधन में अपने को कहां पाती है. इस चुनाव में पार्टी की विचारधारा जनहित एवं जन सरोकार को कितना प्रभावित कर पाएगा.
बिहार में जो एनडीए है. उसके प्रमुख चेहरा नीतीश कुमार हैं. वे समाजवादी विचारधारा से प्रेरित हैं. उसकी दूसरी तरफ जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष खाटी समाजवादी वशिष्ठ नारायण सिंह हैं. यह दो ध्रुव आपको समझाने के लिए काफी है, कि हमारा विचारधारा क्या है. हमारा कोई भी काम समाज के लिए हुआ है, जनता के लिए हुआ है. पोशाक योजना, कौशल युवा प्रोग्राम, जल जीवन हरियाली, बाल विवाह, हर घर जल नल योजना ऐसे अनेकों काम है. जिससे आप यह आकलन लगा सकते हैं, कि हमारी विचारधारा क्या है. हमने एक तरफ कब्रिस्तान की घेराबंदी की, तो दूसरी तरफ मंदिरों के भी घेराबंदी की योजना बनाई. हमने समाज को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की है, ना की किसी जात की. जो लोग सेक्यूलर बनकर घूमते हैं. उनकी विचारधारा समाजवादी नहीं, बल्कि जातिवाद है. वे किसी विशेष जाति की बात करते हैं, और हम समाज की बात करते हैं. जैसे तिरंगा झंडा में तीन रंग होता है. हमारी भूमिका उसमें सफेद रंग वाली है, जो केसरिया और हरा को जोड़ें रखता है, और तिरंगा बनके शान से भारतीय ध्वज के रूप में लहराता रहता है.
वर्ष 2015 के चुनाव में पार्टी ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 71 सीटों पर सफलता हाथ लगी थी. चुनाव में जदयू पार्टी को 64.16 लाख यानी 40.65 फीसदी वोट प्राप्त किया था. इस बार के चुनाव में पार्टी को कितनी सीटें जीतने की उम्मीदें हैं. कुल वोट व वोटिंग का प्रतिशत में क्या इजाफा होगा.
2015 का चुनाव अलग मुद्दे पर लड़ा गया था, परिस्थितियां अलग थी. इस बार की परिस्थितियां अलग है. हमने वर्ष 2015 में जो वादा किया था. उस वादा को पूरा करने के बाद हम चुनाव मैदान में हैं. नीतीश कुमार की 15 साल की साफ-सुथरी छवि, बिहार में किए गए विकास कार्यों से जनता के बीच में बहुत प्रसिद्धि है. बिहार के विकास का रोड मैप हमारे पास है. जिस कारण जनता सब समझती है. बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री होना बहुत जरूरी है. इसलिए हम 100 सीट से अधिक जीतेंगे. नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री होंगे.
आपकी पार्टी ने झाझा विधानसभा सीट पर दामोदर रावत को चुनावी सिंबल देकर प्रत्याशी बनाया है. उनकी जीत के प्रति आप और आपकी पार्टी कितना आशान्वित हैं. उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए आपका रोल क्या होगा.

चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आपकी पार्टी ने 24 सीटों पर उम्मीदवार सा किया था. 16 सीटों पर जीत मिली थी. कुल वोट 89.26 लाख यानी 1.46 फीसदी हासिल वोट हासिल हुआ था. जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 93 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा किया था. लेकिन जीत सिर्फ 2 सीटों पर ही मिली थी. जबकि इस चुनाव में जनता ने आपकी पार्टी को 59.92 लाख यानी 1.08 फीसदी वोट दिया था. जबकि वर्ष 2014 के मुकाबले वर्ष 2019 में वोटों का प्रतिशत में सिर्फ .62 फ़ीसदी का ही इजाफा हुआ था. ऐसा कोई चमत्कार बिहार विधानसभा चुनाव में आपके पार्टी को होने वाला है क्या ?
10 नवंबर को जब रिजल्ट आएगा, तो चमत्कार दिखेगा. एनडीए भारी मतों से जीतेगी. नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन कर बिहार का बागडोर संभालेंगे.
वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी ने भाजपा एवं भाजपा के विचारधारा के विरुद्ध चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव जीतने के बाद जन आकांक्षाओं व जन भावनाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. ऐसे में आपकी पार्टी की विचारधारा पंथनिरपेक्षता समाजवाद कितना सही आमजन भावना के दृष्टिकोण से देखते हैं. इस चुनाव में आपकी पार्टी की विचारधारा से आमजन कितना प्रभावित होंगे.
हाँ हमने उस समय एनडीए से अलग होने का विचार किया था वो एक गलती आप कह सकते हैं लेकिन आप ये क्यूँ नहीं याद करते की पहले के 10 साल तो हम साथ थे ही न,और हमारी एक ही भावना है विकास और भय मुक्त समाज का विश्वास बस.
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में कई चेहरे सामने हैं. आमजन की हैसियत से आप मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किस चेहरे को पसंद करेंगे.
बिहार की जनता, आम नागरिक 9वीं फेल और बहरूपिया को तो पसंद नहीं करेगा, तो आप ही बताइए कि इसके बाद कौन है. यह भावना बिहार की जनता की है. बिहार की जनता किसी जात के आधार पर, किसी के पुत्र के आधार पर मुख्यमंत्री नहीं चुन सकती. यह तो कटु सत्य है. इसलिए योग्यता के आधार पर, विकास के आधार पर, विचारधारा के आधार पर, व्यक्तित्व के आधार पर, अनुभव के आधार पर नीतीश कुमार को मैं मुख्यमंत्री बनते देखना चाहता हूं.
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