लौट आई छाया लेखक – अमित खान
बुक रिव्यू by रूपेश कुमार
लेखन की दुनियाँ में अमित खान किसी परिचय का मुहताज नहीं है,उनके बहुत सारे उपन्यास आए और लोगों के दिलोदिमाग पे छा गए।
इसी कड़ी में आज जिस नये उपन्यास का विश्लेषण मैं लेके आया हूँ उसका नाम है “लौट आई छाया” । ये विश्लेषण एक लेखक के तौर पे नहीं बल्कि पाठक के तौर पे कर रहा हूँ,और सच कहूँ तो उनकी लेखनी का कायल हो गया हूँ।
ये नॉवेल 4 कहानियों का संग्रह है , और सबके सब मजेदार
लौट आई छाया , द लास्ट डे , मोक्ष और मखीजा महल का चौकीदार ये चार कहानियाँ हैं
जहां पहली कहानी छाया और परिमल की एक ऐसी प्रेम कहानी है जिसमें भावनाओं का जबरदस्त खेल है तो वहीं द लास्ट डे आधुनिक जीवन और प्रेम में प्रैक्टिकल लाइफ को समेटे हुए है। मोक्ष एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसे अपने जीवन और प्यार का महत्व मरने के बाद पता चलता है , वहीं मखीजा महल का चौकीदार एक अद्भुत कहानी है जो रहस्य को अपने में समेटे हुए है और अपने सच होने का प्रमाण देने को बेताब ।
जीवन और उसके बाद का संसार , आत्मा और मनुष्य का सुंदर संसार , प्यार का तानाबाना और बहुत कुछ। अमित खान जी के लेखनी में आपको सब मिलेगा ,आप चौकेंगे आप रोयेंगे और आप हसेंगे भी। सारी भावनाओं का एक सुंदर संकलन है लौट आई छाया ।
कहानी में सस्पेंस है तो मैं कहानी तो नहीं बताऊँगा हाँ इतना जरूर कहूँगा की पढ़ने के बाद आपको रूहानी दुनियाँ से डर नहीं प्यार हो जायेगा ।
वैसे भी बिच्छू का खेल जो अमित जी के द्वारा लिखी गयी थी जिसपे चर्चित वेब सीरीज हाल ही में आयी है के बाद उनकी ये पेशकश बेमिसाल है, हाँ मैं उनको 5 में से 4.5 स्टार दूंगा क्यूंकी अमित जी से उम्मीद और भी ज्यादा है।
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