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नाइट क्लब लेखक – अमित खान
बुक रिव्यू by रूपेश कुमार
अमित खान जी जो किसी परिचय का मुहताज नहीं है,उनकी एक और मास्टरपीस , का विश्लेषण मेरी नजर से….
बूक रिवियू की कड़ी में आज जिस नये उपन्यास का विश्लेषण मैं लेके आया हूँ उसका नाम है “नाइट क्लब” । एक बार फिर से बता दूँ कि ये विश्लेषण एक लेखक के तौर पे नहीं बल्कि पाठक के तौर पे कर रहा हूँ,और आपको तो पता तो है ही कि मुझे कहानियों का पोस्टमार्टम करने में कितना मजा आता है….
यह नॉवेल सच कहूँ तो दिमाग को घूमा देने वाले सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है, चार लोगों के बीच घूमती कहानी के कई रंग हैं, शनाया, बृंदा, तिलक, और अय्यर ,बस ये चार , और अमित खान साब का संसार, प्लानिंग प्लोटींग और नहले पे दहला.
शनाया और बृंदा दोनों की ज़िंदगी नाइट क्लब से शुरू होती है और एक की ज़िंदगी जेल में और एक की एक्सिडेंटल मौत पे खत्म होती है,
महत्वाकांक्षा ,और पैसे की धुन इंसान से क्या क्या करवाती है ये आप इन दोनों बार बालाओं की ज़िंदगी के माध्यम से देख सकते हैं, इस कहानी में सब है, मसाला इंन्टरटैनमेंट, के साथ आप जैसे जैसे कहानी के साथ आगे बढ़ते जाएँगे आप बस चौंकाने वाले सुस्पेंस से रूबरू होते जायेंगे,
हाँ अंत में मै ये सोच बैठा था की क्या इस कहानी का पार्ट 2 होता तो कैसा होता ? मगर इस सवाल का जबाब तो अमित खान जी की कलम ही दे सकती है ॥
सारे पाठक जो कहानी पढ़ते पढ़ते अपने दिमाग में एक बॉलीवुड सस्पेंस मुवी को चलते देखने का अनुभव करना चाहते हैं वो इनकी लेखनी जरूर पढ़ें॥
अंत में ये कहना चाहूँगा की पुरानी पेशकश के जैसे ही इनकी ये पेशकश बेमिसाल है, हाँ मैं उनको 5 में से 4.5 स्टार दूंगा क्यूंकी अमित जी से उम्मीद और भी ज्यादा है।
तो फिर इंतज़ार किस बात का आईये प्यार, धोखा ,लालच, वासना और थ्रिल की दुनियाँ में गोता लगाईये…
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