14 March 2025

bebaakadda

कहो खुल के

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने स्किल समिट 2018 और ग्लोबल स्किल समिट 2019 में लोगों को दिए ऑफर लेटर पर उठे विवाद की जांच कराने का निर्णय लिया है

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्किल समिट -2018 और ग्लोबल स्किल समिट- 2019 में लोगों को दिए गए  ऑफर लेटर और उनके नियोजन की अद्यतन स्थिति  को लेकर खड़े किए कई गंभीर सवालों पर उठे विवाद की जांच एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने का निर्णय लिया है
  विधायक प्रदीप यादव ने पंचम झारखंड विधान सभा के द्वितीय सत्र में इन दोनों समिट में युवाओं को दिए गए ऑफर लेटर को लेकर खड़े किए थे कई गंभीर सवाल, सरकार से इसकी जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने की रखी थी मांग
बेबाक अड्डा, रांची
पंचम झारखंड विधान सभा के द्वितीय सत्र में स्किल समिट-2018 और ग्लोबल स्किल समिट-2019 में जिन व्यक्तियों को ऑफर लेटर दिए गए थे. उनके नियोजन को लेकर पूछे अल्पसूचित प्रश्न में विधायक प्रदीप यादव ने कई गंभीर सवाल  खड़े किए थे. उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने की मांग रखी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को अत्यंत गंभीर मानते हुए स्वतंत्र जांच एजेंसी से इसकी जांच कराने का निर्णय लिया है.
   *1 लाख 33 हज़ार 293 व्यक्तियों को ऑफर लेटर दिए गए थे*
स्किल समिट-2018 में 26 हज़ार 674  लोगों को ऑफर लेटर दिया गया था. इसमें उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा 15 हज़ार 869, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 2713, शहरी विकास एवं आवास विभाग द्वारा 3317,  श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 4418, खनन भूतत्व और उद्योग विभाग द्वारा 198, पर्यटन, कला, संस्कृति खेल एवं युवा कार्य विभाग द्वारा 159  व्यक्तियों को ऑफर लेटर दिया गया था. ग्लोबल स्किल सम्मिट-2019 में 1 लाख 6 हज़ार 619  लोगों को ऑफर लेटर मिला था. इनमें झारखंड स्किल डेवलपमेंट मिशन सोसाइटी द्वारा 44 हज़ार 693,  उच्च शिक्षा द्वारा 12 हज़ार 101,  तकनीकी शिक्षा द्वारा 5 हज़ार 963,  ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 12 हज़ार 451, शहरी विकास एवं आवास विभाग द्वारा 14 हज़ार 892, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 10 हज़ार 965, उद्योग विभाग द्वारा 998 और कल्याण  विभाग द्वारा 4 हज़ार 556 व्यक्तियों को जॉब ऑफर दिए गए थे. इन दोनों स्किल समिट में दिए गए ऑफर  लेटर के आलोक में   नियोजन की अद्यतन स्थिति पर  विधायक प्रदीप यादव के द्वारा अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं, जिसकी जांच एक  स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने का निर्णय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के द्वारा लिया गया है.

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