हाकी के महान जादूगर मेज़र ध्यानचंद, जिसपर एडोल्फ हिटलर भी फिदा थे
लेखक : डॉ विजय शंकर
बेबाक अड्डा, देवघर
अब न दूहराएं यह बात
आज खेल दिवस है, जी हाँ ,प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को खेल दिवस मनाया जाता है. मशहूर, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाये जाने का उद्देश्य खेल के प्रतिभावान, उद्दियमान नौनिहालों को खोजना, तराशना और भारत के भाल को चमत्कृत बनाने वाला सर्वोत्कृष्ट नगीना जड़ना, कोहिनूर बनाना. सुविधाओं के अभाव के बाबजूद भी हमारी चमक फीकी नहीं थी, अब करोड़ों खर्च करके भी पदक-खाता खुलने का इन्तजा़र करना पड़ता है.
राजनीतिक हस्तक्षेप, पारदर्शिता का पूर्णाभाव, गरीब और प्रतिभावान खिलाड़ियों से भेदभाव की खानदानी परम्परा, खेलसंघों और उसके आकाओं की मनमानी, लगन और जुझारुपन के जूनुन का अभाव आदि बहुत से कारक हैं.
मित्रों, अगर प्राथमिक, मध्य, उच्च और उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी सुविधाएं और रोजगार की गारंटी दी जाये, प्रतिबद्ध खेल शिक्षकों की नियुक्ति की जाये, योजना बनाकर उत्कृष्टतम बीज को तराशा जाये, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम क्रिकेट फोबिया से बाहर निकलकर भी अनान्य खेलों में भी अपने जौहर बिखेर देश की आन-बान-शान बढ़ा सकेगें.
अभिभावकगण से विनम्र निवेदन है कि जैसे आप बच्चों को विद्यालय भेजने, होमवर्क बनाने और सर्वोत्तम अंक के लिए प्रयत्नशील रहते हैं, ठीक उसी प्रकार खेल के लिए, उसके रुचि के अनुसार, कुछ समय देंगे, तो आपके लाडले के भीतर छुपे प्रतिभा का सार्वजनिक प्रदर्शन होगा. महत्तम प्रतिष्ठा, सर्वाधिक धन, तन्दुरुस्त काया की प्राप्ति होगी.
देश की मान बढ़ाने वाले तमाम खिलाड़ियों, खेलप्रेमियों, उनके गुरुओं, उनके मातु-पिता-गुरु-भाई को खेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ, वंदन और अभिनन्दन.
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