25 April 2024

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कहो खुल के

मन के सवाल और किसान बिल का बबाल 

मन के सवाल और किसान बिल का बबाल 

By  रूपेश कुमार

लोकसभा के मानसून सत्र में किसानों के हितों में तीन बिल (विधेयक) पारित हुए . कृषि से जुड़े इन तीन अहम विधेयकों पर राजनीति गरमा गई है. मै थोड़ा लेट हो गया  पिछले शुक्रवार कुछ दोस्तों के साथ गाजीपुर बॉर्डर गया था आंदोलन के उत्सव का हिस्सा बनने और थोड़ा करीब से समझने के लिए ,फिर हमने बिल का अध्ययन किया और ये जानने का प्रयास अपने स्तर पर किया की आखिर क्यों इनका विरोध या सपोर्ट  हो रहा है.

चलिए शुरू करते हैं बिल की बातें  सरल शब्दों में .

1.कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020
इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब है कि एपीएमसी (APMC) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2.मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज खत्म होगा. 

3.आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है.बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

सरकार का कहना है कि ये कानून न केवल किसानों को सशक्त बनायेंगे बल्कि ये किसानों और व्यापारियों के लिये एक समान व मुक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे और कृषि के भविष्य पर इनका व्यापक प्रभाव पड़ेगा,जिससे अनुकूल प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार पारदर्शिता में सुधार होगा.  वे अपने खेतों से सीधे बिक्री कर सकते हैं. उनके भीतर व्यापारियों के शोषण के जोखिम के बिना उद्यम स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होगी.एग्री एक्सपर्ट्सका कहना है कि किसानों के लिए ये बिल काफी फायदेमंद हैं. उनका कहना है कि इन विधेयकों के लागू होने से किसानों की आय बढ़ेगी. बाजार से बिचौलिये दूर होंगे और किसानों को उनकी फसल का बाजिव भाव मिल सकेगा. आने वाले दिनों में ग्रामीण भारत (गांव) निवेश का हब बनेगा,खेती-किसानी के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा

अब बात करते हैं विरोध के वजह की किसान और व्यापारियों को इन विधेयकों से एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं. इसके चलते आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा.

किसानों को यह भी डर है नए कानून के बाद एमएसपी पर फसलों की खरीद सरकार बंद कर देगी. दरअसल, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी. इसके अलावा राज्य सरकारों को चिंता है कि किसान मंडियों के बाहर फसल बेचेंगे, जिससे उनका राजस्व घटेगा.  

ये तो हो गयी सरकार की बातें और विरोध की, जब मैं गाजीपुर में था तब जो माहौल हमने देखा वो वाकई कमाल का था, इस आंदोलन में मुझे ऐसा लगा की पूरा घर ही मेरे आस पास है, घर का खाना था, हुक्का था,ताश थे, क्रिकेट था और हाँ नाना नानी और दादा दादी भी थे उनकी सलाहें उनकी कहानियाँ सब कुछ,क्रिकेट खेलते बच्चे तो सावित्री फुले  जी की  कल्पना वाली टेंट  स्कूल भी,बाजारवाद के विरोध वाला  प्रतीक भी , और मोदी जी को गाली देने वाला पोलिटिकल मंच भी.

सारी सुविधाएं है मगर वो सब अपने गाँव की गलियों को छोड़ ये हाइवे की गलियों में बैठें हैं इससे बड़ा कारण क्या हो सकता है ये समझने का की कुछ तो मिसिंग है इस बिल में जो सरकार भी समझा नहीं रही और हम भी समझ नहीं रहे .

चलिए अब मैं अपनी समझ के अनुसार कुछ सवाल रख रहा हूँ 

1-कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020
*किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी.

मेरे मन के सवाल – लोजिस्टिक्स का क्या ?? ऑनलाइन बिक्री और किसान .? क्या वो इतने सक्षम हो गए हैं? अगर सरकार मन से सोच रही है कि  किसान सब खुद कर लेंगे नहीं तो एक्सपर्ट की टीम यानि की बाबू लोग सब समस्या दूर कर देंगे तो साब किसको मूर्ख समझ रहे ?

ऑनलाइन ट्रांजेकसन क्या फ्री रहेगा अभी तो कुछ भी करो कुछ तो चार्जेस तो लगते ही हैं कमोवेश किसी भी ट्रांजेकसन में.

2.मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

* कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है.

*फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी.

मेरे मन के सवाल-

क्या किसान कान्टैक्ट करने के बाद फसल को खुद के लिए इस्तेमाल कर पाएगा  ?

अगर किया तो क्या ये एग्रीमेंट का उल्लंघन नहीं माना जायेगा ?

फसल की गुणवत्ता का पैमाना कौन तय  करेगा ?

और एक सवाल क्या कंपनी इतनी बड़ी csr ऐक्टिविटी करेगी क्या की फसल खराब हुआ तो नुकसान भी भरेंगे और कुछ न कहेंगे ?

ये बंधुआ मजदूरी की तरफ एक कदम नहीं होगा क्या किसानों के लिए ?ये सारी शंकाओं का समाधान तो चाहिए न?

3.आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
*खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है.

*बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी.

*उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

मेरे मन के सवाल-

क्या होगा अभी के पीडीएस  सिस्टम का ?

प्राइवेट कंपनी क्या समाज के सबसे नीचे वाले तबके के बारे में सोचेंगी ? कंपनी ने ये कह के खरीददारी बंद कर दी की मेरा स्टोरेज  लिमिट पूरा तो फिर किसान क्या करेंगे मजबूरी में ?

अब सरकार कहेगी की भाई वो तो कान्ट्रैक्ट में है की वो कंपनी ही खरीदेगी 

तो साब मजबूरी में किसान को पहले से कान्ट्रैक्ट करना पड़ेगा ? राइट

एक तरफ आप कह रहे हो apmc  से बाहर कहीं भी बेच सकते हैं दूसरी तरफ कान्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के जरिए आप उनको बांध रहे हैं आखिर क्या सोच रहे हो सरकार ?

फिर एक सवाल का जबाब बिल में नहीं है वो ये की कान्टैक्ट फ़ार्मिंग में जमीन पे क्या किसान लोन ले सकेगा ? बेच सकेगा?

ठीक है स्वामित्य किसान का होगा मगर क्या वो उस जमीन को आराम से बेच सकेगा क्या ??? अगर वो जमीन कान्ट्रैक्ट में हो तो ?

सबसे बड़ा सवाल किसान लोन के चक्कर में मरते हैं उनका कुछ सोचा क्या? कोई कानून जिससे किसान को मारना न पड़े ?

अब मुझे ये नहीं पता की मेरे कितने सवाल जायज हैं मगर ये उठे तो मैंने लिख दिया .

सरकार आत्मनिर्भर बनने बोल रहे सबको, तो किसान की नीति ऐसी करो जिससे वो आत्मनिर्भर बने एक तरफ कुआं दूसरे तरफ खाई का इंतजाम न करो . मेरे मन के सवाल और किसान बिल पे बबाल पे शंका का समाधान करो .                                                                                                                                                                           

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